Kavita Jha

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आत्महत्या एक डरावनी प्रेम कहानी # लेखनी धारावाहिक प्रतियोगिता -09-Sep-2022

भाग - २१


सास के कहने पर साधना ने बड़े जेठजी की दी हल्की सी साड़ी पहनी हुई थी अपने रिसेप्शन पार्टी वाले दिन जिसे देख सिद्धार्थ के सहकर्मी लेडिज टीचर्स मजाक उड़ा रहीं थीं ।
साधना के बनाए खाने की तारिफ से दीपा की आत्मा जलभुन रही थी और दही चीनी परोसते समय उसने चीनी के डब्बे को अजीनोमोटो से बदल दिया।

अब गतांकं से आगे...

जिस डिब्बे को चीनी का डिब्बा समझ साधना किचन से लाकर सबको दही के साथ परोसने वाली थी कि तभी गुड़िया के पैर में अचानक बहुत तेज दर्द हुआ और सबके साथ नीचे फर्श पर बैठी गुड़िया ने अपना पैर सीधा करने के लिए जैसे ही फैलाया साधना जो अपने ही ख्यालों में खोई आगे बढ़ रही थी , गुड़िया के पैर से उसकी साड़ी अटक गई और वो डिब्बा समेत गिर पड़ी जाकर सिद्धार्थ की गोद में।

..सब इतना अचानक हुआ कि संभलने का समय ही न मिला साधना को।
 डिब्बा काँच का था सो नीचे गिरते ही टूट गया और उसमें रखा सारा समान बिखर गया।

जो जहर बच्चों और बड़ों को खाने में चुटकी भर दिया जाता है स्वाद को बढ़ाने के लिए वही अजीनोमोटो अगर चीनी की तरह दो चम्मच दही में डालकर दिया जाए तो स्वाद बढ़ेगा नहीं बल्कि वो जहर तुरंत शरीर पर असर करेगा। जिससे मौत भी हो सकती है। साधना के हाथ में चीनी नहीं जहर है इस बात से वो पूरी तरह अनजान थी।वैसे उसे लग रहा था कि यहां कि चीनी के दाने थोड़े डिफरेंट हैं। फिर उसने इस बात पर विशेष ध्यान नहीं दिया हो सकता है यहांँ ऐसी ही चीनी मिलती हो।वैसे भी साधना सावन को भूलने के चक्कर में अपने आस पास की चीजों को ही भूलती जा रही थी।

सावन उसके साथ हर पल हैं जिसे वो भूलना चाहती है इस बात से भी वो पूरी तरह अनजान थी।

वो कभी अब सावन को देख भी पाएगी या नहीं... पता नहीं पर सावन तो हर पल उसे देख रहा है।उस पर आने वाली मुसीबतें उस तक पहुंचने से पहले सावन से होकर गुजरती है और फिर सावन का सामना कर गायब हो जाती है।

चीनी का डब्बा उसके हाथ से गिरा और वो अचानक सिद्धार्थ को गोद में जब गिर गई और सारा अजीनोमोटो फर्श पर बिखर गया!
सिद्धार्थ जो अनमने मन से सब के साथ खाने के लिए बैठा था साधना को अचानक अपनी गोद में देख हड़बड़ा कर उठ खड़ा हुआ

"क्या हुआ लाज शर्म सब बेच खाई हो। या अंधी हो गई हो जो तुम्हें दिखता नहीं है।" शीला जी बोली।

तभी बड़े जेठ जी बोले,
 "अरे!नबकी बहू तुम कैसे गिर गई। ठीक तो हो ।चोट तो नहीं लगी।"

" जरा संभल कर चलना चाहिए था ना देखो कितनी चीनी तुमने बर्बाद कर दी। तुम्हारा मायका नहीं ससुराल है यह। इस तरह से हमारा समान बर्बाद करती रही तो हमको कटोरा लेकर रोड पर बैठना होगा।" बड़ी जेठानी ने जब अपनी पति के सहानुभूति वाले शब्द सुने तो उसको तंज कसे बिना रहा नहीं गया।

सास और जेठानियों के ताने से दुनिया की कोई भी बहू बच नहीं पाई है साधना कैसे बच जाती।

सावन ने ही ऐसा कुछ किया था जिससे साधना चीनी के स्थान पर अजीनोमोटो सबके दही पर ना डाल दे। पर साधना को सब इस  तरह बोल रहे थे यह देखकर उसकी आत्मा रो पड़ी। आखिर वो तो चाहता था कि सिद्धार्थ उसका सहारा बने । दुनिया की हर मुसीबत से उसे बचाए।

गोविन्द ने देख लिया था कि गुड़िया के पैर फैलाने के कारण ही साधना की साड़ी फसने से वो गिरी।

"अरे! जल्दी से इस काँच और चीनी को हटाओ। अपशगुन तो हो ही गया।"

"मांँ कोई अपशगुन नहीं हुआ यह सब गुड़िया ने जानबूझकर किया है अपनी भाभी को गिराने के लिए। यह इसी की गलती है मैंने अपनी आंखों से देखा।"

"नहीं भाई मेरे पैर में अचानक बड़ी जोर से दर्द हुआ मैंने तो देखा ही नहीं था कि भाभी आ रही हैं और सिर्फ अपना पैर सीधा किया था।" रुआंसी हो गुड़िया बोली।

साधना भी तब तक संभल गई थी । सर पर आंँचल ठीक करती हुई उठ खड़ी हुई।

"ठीक हो बहू ??
रुको मैं और चीनी लेकर आता हूँ।" गोविन्द ने कहा और अपनी पत्नी को साफ करने के लिए कहा।
जब वो समेट रही थी कांच के टुकड़े और चीनी तब उसने चीनी की जगह अजीनोमोटो ने अपनी तरफ ध्यान आकर्षित किया।वो थोड़े से दाने मुट्ठी में लेकर अपने पति को दिखाते हुए बोली ," देखिए जी ई तो चीनी ना़ही है। हमको तो कुछ गड़बड़ी नजर आ रही है।"

गोविन्द ने अपनी पत्नी की मुट्ठी से वो सफ़ेद चीनी से दाने लिए और सूंघने लगा, उसने एक दाना टेस्ट किया।
" अरे! यह तो अजीनोमोटो है। यह चीनी के डिब्बे में कैसे आया?"

"हमको कुछ नहीं पता जी।वो तो पार्टी से बचा हुआ सब सामान हम किचन में ही लाकर रख दिए थे।" गोविन्द की पत्नी ने कहा।

"जो होता है अच्छे के लिए ही होता है माँ। अच्छा हुआ जो नई बहु ने यह सबको खाने में नहीं दिया। वरना आज गज़ब ही हो जाती।"

सावन की आत्मा एक कोने में खड़ी खुश हो रही थी कि चलो दीपा की बुरी आत्मा ने जो साधना को सबकी नजर से गिराने के लिए खेल खेला था वो कामयाब नही हुआ और सभी अजीनोमोटो खाने से बच गए।

दीपा की आत्मा तिलमिला रहीं थी । कब तक तू बचाएगा इसे?? इसने मुझसे मेरा सिद्धार्थ छीना मैं इससे इसकी जिंदगी छीन लूंगी…. 

दीपा की आत्मा आगे क्या करने वाली है।जानने के लिए जुड़े रहिए इस कहानी से।


क्रमश:

आपको यह कहानी पसंद आ रही है यह जानकर खुशी हुई। 
इस कहानी से जुड़े रहने के लिए मेरे प्रिय पाठकों का तहे दिल से शुक्रिया। आप इसी तरह कहानी से जुड़े रहिए और अपनी समीक्षा के जरिए बताते रहिए कि आपको कहानी कैसी लग रही है।

कविता झा'काव्या कवि'
#लेखनी धारावाहिक प्रतियोगिता 

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3 Comments

Khushbu

05-Oct-2022 04:07 PM

Nice

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नंदिता राय

01-Oct-2022 09:31 PM

Nice

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Gunjan Kamal

30-Sep-2022 11:45 AM

बेहतरीन भाग 👌👏🙏🏻

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